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आच मिथे दिके वा


आच मिथे दिके वा

आच मिथे दिके वा
डंडा धारों मा
उ पाली गौं का बाटों मा
आच मिथे दिके वा............

दिकी छे मिल वीं मुखडी
पौड़ी बाजार मा जलेबी खाणी
लैनी छे चूड़ी वा
मंगतू कि दुकेनी मा
आच मिथे दिके वा............

तब सै निजाण कया व्हाई
जियु मेरु ,मेरु नि रहाई
राति कि नींद दिन कि चैन हर्ची
जबेर भतेक वीं मुखडी दिके मंगतू कि दुकेनी मा
आच मिथे दिके वा............

गोळ मुखडी बिगरेली
भली लगणि वा नाका कि नथुली
आँखों मा काजल बस्याँ
वा माथा कि बिंदी हस्या मंगतू कि दुकेनी मा
आच मिथे दिके वा............

तबरी भ्तेक लागि वा मेरी
अब लगणि बस वा मेरी
जण सात जन्मा कु फेरा छिन
वीं का औरी बस मेरा छिन
आच मिथे दिके वा............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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