फिर ऐगै नि याद वो
फिर ऐगै नि याद वो
खुद बणिकि पिछने पिछने मयार आणा कुन
डंडा कांडा फिर वो रुलाणा कूंन
डंडा कांडा फिर वो रुलाणा कूंन
रेघा पिछने रेघा ऐ गै
आंसूं का फेरा ऊ मुखड़ी का घेरा मा
उदास जियु बस जी हेरना कुन ऊ ऐ गै
डंडा कांडा फिर वो रुलाणा कूंन
बिदेश च युओ वख दूर गौं मेरु
झिर झिर वख कुई लेंनू व्हालो नौ मेरु
रति कि भीर भीर दीन कि इकली खिद ले कि ऊ ऐ गै
डंडा कांडा फिर वो रुलाणा कूंन
दोई साला कु वीजा कि लागी जेल बोई
आंसूं रो रो दा बस बोळी बोई बोई
मेरी खुद मा ना जरा तू रोई बाडुली लगी तेर ऊ ऐ गै
डंडा कांडा फिर वो रुलाणा कूंन
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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