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परेली मा


परेली मा

परेली मा लुकाई राखि ना
आंगळी मा बंधी राखि ना ------ x २

जाण द्यावा ना रोका ना रोका
उड़ण द्यावा
सरगा को पारि जाणा चढ़ी चस्का मिथै

बंधी राखि तुमरि जियु
मा
ई त तुमरि धड़कन हो

मन भित्र दमडी राखि ना
आँखा भित्र अल्झाई राखि मा

रम्न द्यावा ना तुमरि आँखा
मा
स्वास बस्न द्यावा, तुमरि
ह्रद्य को ढुकू-दुकिमा

बंधी राखि तुमरि जियु
मा
ई त तुमरि धड़कन हो

साँचि राखि तुमरि आँखि
मा
ई त तुमरि दगड़ हो

बंधी राखि तुमरि जियु
मा
ई त तुमरि धड़कन हो

मन भित्र दमडी राखि ना
आँखा भित्र अल्झाई राखि मा

परेली मा लुकाई राखि ना
आंगळी मा बंधी राखि ना ------ x २

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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