पाडे सोच
यख बि निच
वख बि निच
पाडे कि सोच तख बि निच
क्ख्क हर्चि वालि वा
क्ख्क बिरडि वालि वा
यख बि निच............
कंन कांडां पंड़यां ये सोच मा
मोच नि अई तै खुटि जोडमा
ऊंदारु दौड़ीं दौड़ी गै वा
झट सुरुक रौड़ी गै वा
यख बि निच............
कै कि तू उजाड़ घाट दारा
जंगलात , पुंगडी पाणि कू धारा
सिकै पडै कि मेर सोच वा
छोड़ी कि गै मेरा छोर वा
यख बि निच............
कंन निखाणि व्हाई ज्वाँण सोच मा
मायाऴ खेळ खिंडि नोट कि रोल की
दाना ,बेटी-ब्वारी नांनह सोच वा
रैगे ऊ सदनी मेरा शोर वा....... ३
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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