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बौड़ि ऐ गे


बौड़ि ऐ गे

ख्वळम खैयाळ मा
ज्यू कि दिवाळ मा
हूंद जनि प्रित बौल्या..... इनि ऊं बस्यूं
मेर मनिख कि किताब मा
ख्वळम खैळ मा .............

ह्वे गे छे घ्याळ
ब्याळ ही वेळ मिसे ब्वाल बळ
बैठणयूँ छों वे डाळ तळ
आंदी जांदी जख खुद बळ ..... इनि ऊं बस्यूं
मेर मनिख कि किताब मा
ख्वळम खैळ मा .............


अपण परै दगड
जुगाड़ करदू रैंदु हर हाल बळ
बौण बणिकी थोडू या बिंडी छा
ल्याई किलैकि ये अजार बळ..... इनि ऊं बस्यूं
मेर मनिख कि किताब मा
ख्वळम खैळ मा .............

फूकी ऐन बलपन
मेरि रोंका -धौंकी कू बाट बळ
खतम इ नि होणि छे मिथे
गिच तलक ऐगे तेरु प्यार बळ..... इनि ऊं बस्यूं
तीस खतम नि हुणि मेरि
मेर मनिख कि किताब मा
ख्वळम खैळ मा .............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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