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अऱ्ज रहेगी


अऱ्ज रहेगी

अऱ्ज रहेगी ये अज़ल
अजीब, अजब आक़िबत
से ये मेरी गजल
अऱ्ज रहेगी ये अज़ल

आँच,आंचल का फेर है
आदत और आतिश कि वो आग है
आफ़ताब सा जल जायेगा वो
आफ़ात का जो खेले खेल है

अऱ्ज रहेगी ये अज़ल
अजीब, अजब आक़िबत
से ये मेरी गजल
अऱ्ज रहेगी ये अज़ल

आदमियत महरूम है
आब-ए-चश्म बह जायेगा अब
आयन्दा जो बेकसूर है
आराईश है बस ये मेरी


अऱ्ज रहेगी ये अज़ल
अजीब, अजब आक़िबत
से ये मेरी गजल
अऱ्ज रहेगी ये अज़ल

आसमानी वो आसरा का
आसिम आसूदाह यंहा सभी
आशुफ़्ता हर एक यंहा
आशियाना आश्ना का उजाड़ा है

अऱ्ज रहेगी ये अज़ल …५

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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