बस बहते जाते है
बस बहते जाते है पल
वो कल कल ……२
वो कह जाते हैं
मै रह जाता हूँ
बहते बहते छोड़ जाते हैं
रह जाते छूटे पल
वो कल कल ……२
अब रोज कि बात है
वो अब भी साथ है
घटा था जो कुछ बँटा था
टूटा जो वो मेरे पास है
वो कल कल ……२
माना मैंने
कि मै काबिल ना था
पर गिला है मुझको
कि मै क्यों चुप रहा
वो कल कल ……२
अब भी वो
बहते रहते बीते पल
समंदर कि लहरों समान
मेरे ख्यालों में
वो कल कल ……२
बस बहते जाते है पल
वो कल कल ……२
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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