मै एक शराबी हूँ
मै एक शराबी हूँ
बस ये ही खराबी है
बस ये ही खराबी है
मै एक शराबी हूँ ……
रहन सहन नवाबी है
मै बिलकुल किताबी हूँ
बस ये ही खराबी है
मै एक शराबी हूँ ……
मय मुझे प्यारी है
मैखाना से दुनियादारी है
सुबह शाम की बीमारी
रातों और मय से ही यारी है
मै एक शराबी हूँ ……
लड़खड़ाते रहे हरदम
अपने ही ये दो कदम
चले हर वक्त वंही पर वो
रिंदों ने जंहा महफील सजायी है
मै एक शराबी हूँ ……
दो घोंट तब भी मारों मै
फिर निकल जाये मेरा दम
निकले जब जनाजा मेरा
तब भी तू साथ रहे वो सनम
मै एक शराबी हूँ ……
मै एक शराबी हूँ
बस ये ही खराबी है
बस ये ही खराबी है
मै एक शराबी हूँ ……
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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