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जब तू नही है


जब तू नही है

जब तू नही है जग में
क्या करूँ अब मै
जब तू नही है जग में

खोजे तुझको अंखियां मेरी
खोया तु किस पथ में
जब तू नही है मुझ में
क्या करूँ अब मै
जब तू नही है

भटकों राही बनके
आ जा तू मंजिल बनके
जब तू नही है सब में
क्या करूँ अब मै
जब तू नही है

तू ही राम तू ही श्याम
झलक जा तू मेरे अस्क में
जब तू नहीं वजूद में
क्या करूँ अब मै

जब तू नही है जग में
क्या करूँ अब मै
जब तू नही है जग में

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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