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दिल कहे


दिल कहे

खड़ी हूँ आज वहीं पर मै
जंहा पर छोड़ गये थे तुम मुझको
दिया था दिलासा तुमने दिल को
उसी दिये को ले खड़ी हों मैं
दिल कहे
आओ अब तुम लौटकर

हर पथ पर पड़े भीगे संदेश
वो कागज अब भी गीला है
मोड़कर सिलवटें पड़ी उन पर
एक एक अक्षर उनका सिला है
दिल कहे
आओ अब तुम लौटकर

बित गये अब खड़े कितने पल
कोना कोना अब खाली है
आँखों का वो मेरा सूनापन
जीवन ने अब मेरे बुना है
दिल कहे
आओ अब तुम लौटकर

खड़ी हूँ आज वहीं पर मै
जंहा पर छोड़ गये थे तुम मुझको
दिया था दिलासा तुमने दिल को
उसी दिये को ले खड़ी हों मैं
दिल कहे
आओ अब तुम लौटकर

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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