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लाल पिला नीला गुलाल उड़ने लगा गालों में आज


लाल पिला नीला गुलाल उड़ने लगा गालों में आज

लाल पिला नीला गुलाल उड़ने लगा गालों में आज
मन भीगा सावन फुहार चैत में बही होली कि बयार
लाल पिला नीला गुलाल उड़ने लगा गालों में आज

होलिका का मनसा दिल से दहा हो सब बुरे विचार
रंग बिरंगी रंगों के भावों का का मन में हो उदगार
मन भीगा सावन फुहार चैत में बही होली कि बयार

जात पात बिसरे गुलाल साथ रहे यूँ ही साथ साथ
ढोल दमु गरजे , होली कि रचनाओं कि मन बहार
लाल पिला नीला गुलाल उड़ने लगा गालों में आज

देख कोई अछूता ना छूटे प्रेम रंग दिल तक भीगे
मेरी आत्मा की ये पुकार ये रंग रहे जीवनभर साथ
मन भीगा सावन फुहार चैत में बही होली कि बयार

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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