किस पथ पर
पन्ना पन्ना
बोल रहा
अक्षरों संग क्या
वो डोल रहा
नींव पड़ी
ना जब तू जन्मा था
शीर्ष पर नही है क्यों
किस से पंगा था
पन्ना पन्ना
बोल रहा
मांग रही है रिहाई
अपनों से दुहाई
धूल पड़ी उन पर
बिक रही फुटपाथों में
पन्ना पन्ना
बोल रहा
नीर जल का है
अब हुआ छ्ल छल
कागज कि नाव चली
अब किस पथ पर
पन्ना पन्ना
बोल रहा
अक्षरों संग क्या
वो डोल रहा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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