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याद वो करती होगी


याद वो करती होगी

बैठी होगी वो तो अकेली
संग होगी बस मन कि सहेली
याद वो करती होगी जब मुझको
याद वो करती होगी

अपने से ही हंसती होगी
खुद से हि वो जब रूठी होगी
लाती होगी उस पल में मनाने मुझको
याद वो करती होगी

खुद ही जब अपने से बात करती होगी
आस पास वो मुझे समझती होगी
यूँ ही बीते कल मे संजोती होगी मुझको
याद वो करती होगी

आँखों में आंसूं जब आते होंगे
खुद हि खुद वो संभल जाते होंगे
ऐसे ना वो खोना चाहती होगी मुझको
याद वो करती होगी

बैठी होगी वो तो अकेली
संग होगी बस मन कि सहेली
याद वो करती होगी जब मुझको
याद वो करती होगी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
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