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अश्क ही अश्क है


अश्क ही अश्क है

अश्क ही अश्क है ,इस दुनियादारी में
कोई रह गुजर ना ,इस खुमारी कि बिमारी में
अश्क ही अश्क है ……

टप टिप टप टिप करते बिना कारण बहते
रोक सके ना कोई कैसा ये सबब इस दुनियादारी में
अश्क ही अश्क है ……

बस इतनी जुबानी है,दो लफ्जों की कहानी है
समझे सब पर कह ना पाये इस दुनियादारी में
अश्क ही अश्क है ……

आँखों ने आँखों से , कुछ कहा तो होगा
दिल ने सुनकर अनसुना किया इस दुनियादारी में
अश्क ही अश्क है ……

अश्क ही अश्क है ,इस दुनियादारी में
कोई रह गुजर ना ,इस खुमारी कि बिमारी में
अश्क ही अश्क है ……

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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