बचपन रूठा रूठा
कुछ छूटा कुछ टूटा
बचपन रूठा रूठा
कोना एक खाली था
कोना वो अब भी खाली है
बचपन रूठा रूठा
छोड़ कर गये कंहा
बाबाजी वो मेरे मुझसे
बचपन रूठा रूठा
खोया खोया बैठा हूँ
खोजों अब उनको कैसे
बचपन रूठा रूठा
पहाड़ का बचपन
हर घर मे बना ये वन
बचपन रूठा रूठा
खोजती निगाहें है
बोलती ये मेरी बाहें हैं
बचपन रूठा रूठा
आ जाओ बाबाजी मेरे
आँगन यंहा अब भी सुना है
खिलौन वो रूठा टूटा है
बचपन रूठा रूठा
कुछ छूटा कुछ टूटा
बचपन रूठा रूठा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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