मुठी बंद
मुठी बंद है ना जाने क्यों
आँखें तंग हैं ना जाने क्यों ....मुठी बंद
दंग है यंहा सब दंग है
ना कोई यंह मौला मलंग है
बिनते जा रहे क्या
इस तरह जीते जा रहे हैं क्यों ....मुठी बंद
अपने आप में लगा है वो
जाने क्यों इस तरह जी रहा है वो ....मुठी बंद
भूल चुका अपने आप को
इस सुबह उस जाती शाम को ....मुठी बंद
दो पल भी चैन नही
तुझ में तू है या और कोई ....मुठी बंद
फैसला अब तेरे रब पर है
तारीख तेरी मुक़रार है ....मुठी बंद
बुना तेरा छूट जायेगा
मुठी बंद है खुल जायेगी ....मुठी बंद
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ