मेज मेरी
लकड़ी के वो चार खुटे
मेरे ख्वाबों के वो बूटे
मेज मेरी, तू प्रीत मेरी
सोच जन्मी वंही
वंही मेरी कल्पना बड़ी
मेज मेरी, तू प्रीत मेरी
आयताकार विचारों से घिरे
मेरे ख्वाबों के वो गुलदस्ते
मेज मेरी, तू प्रीत मेरी
कभी गीत कभी गजल
कविता के वंहा मेरे बीते पल
मेज मेरी, तू प्रीत मेरी
रहना मेरे संग यूँ ही उम्र भर
लिखता रहूंगा मै तुझ पे पल पल
मेज मेरी, तू प्रीत मेरी
लकड़ी के वो चार खुटे
मेरे ख्वाबों के वो बूटे
मेज मेरी, तू प्रीत मेरी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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