टूटा पड़ा है वो अरमान मेरा
टूटा-फूटा पड़ा है वो अरमान मेरा
क्या करूँ रूठा खड़ा दिल का मेहरबान मेरा
टूटा पड़ा है वो अरमान मेरा
कैसे मनाऊँ इस दिल को क्यों कर उलझाऊँ
रह भी ना पाये दूर करीब भी ना आये पाये वो
टूटा पड़ा है वो अरमान मेरा
हसरतें काफी थी कोशिशें नाकाफी रही
ख़यालों के सफर में हकीकत की उदासी रही
टूटा पड़ा है वो अरमान मेरा
अब भी टूटा-फूटा वो मन वो दिल मेरा
वो दिलबर मेरा अब भी दूर खड़ा
टूटा पड़ा है वो अरमान मेरा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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