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इस दुनिया में क्या रखा है



इस दुनिया में क्या रखा है

इस दुनिया में क्या रखा है
एक जमी ,एक आस्मां रख़ा है

टूटे खाव्ब हैं टुटा दिल है
एक समंदर एक आस रखी है

मकड़ी सा जालों मे घिरा है
अपने ही उधेड़ बुन मे लगा है

रंगों को रंगता रहता है
परया है वो पर अपना लगता है

सपने झूठे हकीकत झुठा
अपने फरेब में वो फंसा रहता है

एक समा बस जलती बुझती है
कारवां जिंदगी गुजरता रहता है

इस दुनिया में क्या रखा है
एक जमी ,एक आस्मां रख़ा है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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