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हर ठोकर में


 हर ठोकर में

हर ठोकर में राह बनेगी
हार में ही अब जीत बनेगी
हर ठोकर में

असफलता ही अब
जीत का हार बनेगी
हर ठोकर में

कडवी बाते
लक्ष्य में साथ बनेगी
हर ठोकर में

आलस को त्याग
वो ना तेरा ताज बनेगा
हर ठोकर में

फुर्ती को तूने अपनाया
वो ताज तेरे साथ चलेगा
हर ठोकर में

बेपरवाह मंजर
ना अब तेरे साथ चलेगा
हर ठोकर में

परवाह कर तू
तू ना किसे अनादर कर
हर ठोकर में

थका जायेगा तू
ना आराम मिलेगा
हर ठोकर में

उम्र गुजर जायेगी
तब कब तुझे काम मिलेगा
हर ठोकर में

ठोकर से अब तक
तू ना सीख पाया
हर ठोकर में

मैंने ये लिखा
क्या तुझे ज्ञान मिलेगा
हर ठोकर में

व्यर्थ ही जायेगा
मेरा लिखना यूँ ही
हर ठोकर में

पड़कर भी तू
अगर अनजान बनेगा
हर ठोकर में

हर ठोकर में राह बनेगी
हार में ही अब जीत बनेगी
हर ठोकर में

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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