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बातों बातों


 बातों बातों

बातों बातों निकली
एक बात बड़ी
अकेला हूँ मैं अब बिलकुल
पर तेरी वो बात साथ चली
बातों बातों निकली
एक बात बड़ी

छू ती है रो देती
गुमसुम चुप हंस देती
बेगाना अपना कर जाती
तेरी कही बातें क्या कर जाती
बातों बातों निकली
एक बात बड़ी

रहूँ मैं कंही भी
तू मेरे आस-पास कंही
देख झांक कर दिल के दीवार पर
लिखी होगी वही बात तेरी
बातों बातों निकली
एक बात बड़ी

मैं जिस्म हूँ तू साँस मेरी
सुन ले तू धड़कन की आवाज मेरी
गूँज रही होगी अब तक
उस दिल में कही बात तेरी
बातों बातों निकली
एक बात बड़ी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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