हे भूली आणु छों मि घारा
हे भूली आणु छों मि घारा ते थे क्या लान
बोली दे तू बोली दे झट अपरा गीची खोली दे
हे भूली आणु छों मि घारा
भैजी काय बोलणा आपन क्या चीज आप लान
सिन्कोली ऐ जावा भैजी सुखान लगी बोई बाबा जी का परान
भैजी काय बोलणा आपन क्या चीज आप लान
जब भ्तेक आप गयां भैजी ऐ पाड़ थे छोड़ि कि
ना नींदि आंदी ना राति जांदी खटलु कु बोई कू सिरनु अब छुईं लगान्दी
भैजी काय बोलणा आपन क्या चीज आप लान
उजाड़ा पुंगड़ी भैजी यकुली किले की बिरानी वहैगे
गढ़देश कु पाणी भैजी हम दगड हे किले बैमानि वहैगे
भैजी काय बोलणा आपन क्या चीज आप लान
ना क्वी शौक रेगे भैजी किले हमरी शान हर्ची गे
आलू प्याज टमाटर हो भैजी अब पाड़ा मा भैर भतिक ऐंन लगे
भैजी काय बोलणा आपन क्या चीज आप लान
हे भूली आणु छों मि घारा ते थे क्या लान
बोली दे तू बोली दे झट अपरा गीची खोली दे
हे भूली आणु छों मि घारा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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