ADD

ये ईजा


ये ईजा

कैल नि लगे सकिंन
ये ईजा जीयु की कथा कै दगड
कैल नि लगे सकिंन

बगदि हि गैई बगदि हि गैई उमरी की रेल
सम्लोंणाया रैगे बस गैल
कैल नि लगे सकिंन

दियू बाती जनि बल्दी ही रैई
हम आंधरा रैगे बस छैल
कैल नि लगे सकिंन

बोल्दा रंयां सब बचादा…२ चली गयां
चुप रैगे हम आपरी ही दैर
कैल नि लगे सकिंन

कैल नि लगे सकिंन
ये ईजा जीयु की कथा कै दगड
कैल नि लगे सकिंन

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ