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फिर बरसी गे बरखा.


फिर बरसी गे बरखा.

फिर बरसी गे बरखा
आच मेरा पाडे मा
ऐ पाडे मा मेरा
कूड़े का घारे मा
फिर बरसी गे बरखा.....

काला काला बादल छैगी
चाल चमकी जीकोडी दारा
आंधरु बाटों ऐकि
ऐ राता तू किले रुलेगे
फिर बरसी गे बरखा.....

बैठी छे आस मा
कुचली का साथ मा
आंखियों मा देकि कया
बरसा थाकि हरी छे
फिर बरसी गे बरखा.....

फिर बरसी गे बरखा
आच मेरा पाडे मा
ऐ पाडे मा मेरा
कूड़े का घारे मा
फिर बरसी गे बरखा.....

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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