अब मेरा पहाड़ मा
अब मेरा पहाड़ मा
नि देकेंदु नि देकेंदु बोई क्वी अपरू
देके बी जाली जाली त
देके जांद बल बल वै दगड बस हैर माया कु पुट्लू
नि देकेंदु हर्ची गेन ऊ सेवा सौंळी का गैंणा
रीत बणी नटेलि ब्योलि जनि आच ब्यो भोळ परदेश गैनी
लुक्यां लुक्यां कांस्य कु दूध कू गिलास
आव भगत ऊ सदनी पुरैनी अपरुँ का ऊ शिस्टाचार
पीठेई पिंगली नि रैगे चवलों दानो कख दौड़ी गे
मनखी अपरा अपरा मा मस्त तुण्ड पहाड़ कूड़ों कू हलौ खसतौ
भेद उपजे जिकोड़ी सबि शतरंज कि चालों मा रंत
नींद नि आणि बोई पैल जनि पैल जनि ऐ जांद छे सबी भै निरजक सै जांद छे
अब मेरा पहाड़ मा
नि देकेंदु नि देकेंदु बोई क्वी अपरू
देके बी जाली जाली त
देके जांद बल बल वै दगड बस हैर माया कु पुट्लू
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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