बैठ्युं छों मी
लग्दै दे छुईं
अपरा जीयु की
मेसे क्वी ना छुईं
तुम लुकावा जी
रोलूं बैठ्युं छों
तेरु बाटू हेरदी
दौड़ी ये तू
ना देर इनि कार जी
माया का पंथ
एक ना हजार हुंदी
सुदी सुदी ना
तुम अपरी छुईं मिसावा जी
फजल भ्तेक ब्योखुन हेगे
त्यूं डंडीयुं घाम यूँ रोलूं छलेगे
बैठी सोची मेर दिन पुरेगे
राति हुना पैल अपरी मुखडी दिखा द्यावा जी
आच तुम थे बेल नी मिली
भूल सिन्कोली ऐ जावा जी
बैठ्युं रालु अपरी जीकोडी माया संभाली
कै दिन तुम आला रैबार पैठा द्यावा जी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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