ADD

बैठ्युं छों मी






बैठ्युं छों मी

लग्दै दे छुईं
अपरा जीयु की
मेसे क्वी ना छुईं
तुम लुकावा जी

रोलूं बैठ्युं छों
तेरु बाटू हेरदी
दौड़ी ये तू
ना देर इनि कार जी

माया का पंथ
एक ना हजार हुंदी
सुदी सुदी ना
तुम अपरी छुईं मिसावा जी

फजल भ्तेक ब्योखुन हेगे
त्यूं डंडीयुं घाम यूँ रोलूं छलेगे
बैठी सोची मेर दिन पुरेगे
राति हुना पैल अपरी मुखडी दिखा द्यावा जी

आच तुम थे बेल नी मिली
भूल सिन्कोली ऐ जावा जी
बैठ्युं रालु अपरी जीकोडी माया संभाली
कै दिन तुम आला रैबार पैठा द्यावा जी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ