जब तू नि हूंद
जब तू नि हूंद समण
जियु कैथ तू खोजद
भैर खोजी भीतर बी देकि
देक ना तू देके क्ख्क बी
मन मा मेरु थारो नि लागि
ना देके ना जब तक तेरी मुखुड़ी
जब तू नि हूंद समण
जियु कैथ तू खोजद
कया करदु मी ना मीथै पता
यकुलु कण के जगण तू ही सिका
झट ऐजा दौड़ी सारू देजा
ना त ये पराना चली ते छोड़ि क आच
जब तू नि हूंद समण
जियु कैथ तू खोजद
खैलू मा तू समण बी तू
अग्ने बी तू मेर पिछने बी तू
तू ही तू चैणी बस म्यारा दगड
ये संसार तेर साथ ही रचण
जब तू नि हूंद समण
जियु कैथ तू खोजद
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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