अनपढ़ी
अनपढ़ी अनपढ़ी
पढ़ी बस जी ..ऐ.बी.सी.डी.
अपरी बोली ना पढ़ी पाई
ना बोली पाई ना बिंगी पाई
यकुलु मि अपरू पाड़ा से
ये जन्मा कन दूर राई
रै गै इनि खंत
किले बनि ना गढ़ भासा
कन मि तै से तू दूर राई
पढ़ लिक कि बि
मि सदनी अनपढ़ी रहाई
जै आपरी बोली बिंगी बचै नी ऐई
अनपढ़ी अनपढ़ी
पढ़ी बस जी ..ऐ.बी.सी.डी.
अपरी बोली ना पढ़ी पाई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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