ये घुघूती तू
मि यखी छों
तू क्ख्क बौड़ी गै ई
ये घुघूती तू
किले गौलि उबै गै ई
कुलांस नि
लगे छै च छूई
वि आमे की
डाली यकुली रोई
देक जक बि
वै तू सुण मेरी बाता
देर ना कैर झट ऐ
देक छुटू नि खानु भाता
बुरंस नि फुलणु
काफल नि पकेनि
देक बौजी रैगी बाटू हेरी
तै बिगर कैल रैबार पठेनि
ऐ जा ऐजा
ना इनि दुरी जा घघुति
पाडे थे छुडी
तू ना इनि ना रुसी जा
मि यखी छों
तू क्ख्क बौड़ी गै ई
ये घुघूती तू
किले गौलि उबै गै ई
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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