फिर लागि घूर घूर कैनी
फिर लागि घूर घूर कैनी
ये घुग्ति ये घुग्ति
कै थे देनी रैबार ये मांजी
ये छकोली मेर बडुळि
फिर लागि घूर घूर कैनी
ये घुग्ति ये घुग्ति
पाड़ा ऐगे सौण मैना
काळा बादल छेगे
झिर- गिर गिर गे बरखा
पौडणा छिन ये सरगा का गैना
आमे डाली बैठी घूर नि मेर भैना
फिर लागि घूर घूर कैनी
ये घुग्ति ये घुग्ति
मेरे लाटी कटी दगड्या
दोई दाना चुग ले फिर मार एक फेरी
ऐ बार तू जबी ऐई, घुगी ली
अपरा जीजा की रैबार लैई
ते दुलू अपरू सारू असीस
मेरी प्यारि मेरी भूली …२
फिर लागि घूर घूर कैनी
ये घुग्ति ये घुग्ति
फिर लागि घूर घूर कैनी
ये घुग्ति ये घुग्ति
कै थे देनी रैबार ये मांजी
ये छकोली मेर बडुळि
फिर लागि घूर घूर कैनी
ये घुग्ति ये घुग्ति
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ