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अद बाटा मि



अद बाटा मि

अद बाटा मि कन की अड़े गयुं
झट गौं घार गढ़वाल छोड़ी सुरुक अटकी गयुं

अब नि लगदु जियू मेरु यख
कया करना व्हाला ऊ म्यारा बिगेर वख

कन धोँ मची छन ये जीकोडी की गेड मा
झट सियुं की चट उठी ग्युं जनि कै डैरा मा

औंद औंद बुल्दा रों ऊ फुँद फुँद जाँदा रै
अद रति देकी टूटी ये स्पुनिया आच मि धैय लग्ना छिन

ये बोई ये बाबा जी मेरा आप आच याद आना छिन
मि थे थे किले ये भास ऐ ऐकी किले इनि झुराणा छिन

स्वास भोरी गे नब्ज जामी गे
आँखों का धारा छूटी की आच मि रुलेगे

खोयुं छों बस ऊँकी खुद मा
म्यार गों गोठ्यार म्यारा मुल्की की बाटा मा

अब बी
अद बाटा मि … ध्यानी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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