चलो आज
चलो आज अपना दिल बहलाऊं
कंही से वो ख़ुशी ढूंढ़ के लाऊँ
चेहरा ये खिल खिल सा जाये
ऐसा कोई गीत मै गुनगुनाऊं
अश्कों के समंदर कंहा छुपाऊं
इन दो आँखों को कंहा ले जाऊं
दिल के जख्म ना हरे हो जाये
चलो एक ऐसी दवा आज बनाऊं
आज अपने को अपने से मिलाऊं
खुद को ही खुद से बिसराऊं
चलो आज अपना दिल बहलाऊं
कंही से वो ख़ुशी ढूंढ़ के लाऊँ
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ