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रची गैनी जो इतिहास विजय कू


रची गैनी जो इतिहास विजय कू

रची गैनी जो इतिहास विजय कू
ऊँ शहीदों थे शत शत प्रणाम शत शत प्रणाम

ये बाटों तू हम थे बथे दे
ऊँ का खुठीयूं न कख छोड़ी छे आखरी निसाण
ले लूँ वो माटु थे आपरी माथा मा
जख छोड़ी वैल अपरू परान

रची गैनी जो इतिहास विजय कू
ऊँ शहीदों कु बोई बाबों थे शत शत प्रणाम शत शत प्रणाम

कै माँ का छे ऊ दूध की धारो
कै बाबा का तू हिकमत नि हारु
कैर नि चिंता कैकि तेन मातृ भूमि कु तू छे लाडो
खुना का आखरी बूंद अर्पण कैरी की चलीगे

रची गैनी जो इतिहास विजय कू
ऊँ शहीदों कु कुटुंब कु शत शत प्रणाम शत शत प्रणाम

देक नि क्वी आँखि रूनी हुली
बलिदानी तेर बलिदना देकि सबकी छाती फुगनी हुली
खिला ल ला तुम बणबण फूल बणकी
चम चमकन राला पाड़ों का चलूँ मा सदनी

रची गैनी जो इतिहास विजय कू
ऊँ शहीदों थे शत शत प्रणाम शत शत प्रणाम

ध्यानी प्रणाम

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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