एक रोजी पाड़ो मा
एक रोजी पाड़ो मा
खोयुं छों मी खैलू मा
अपरा मना दगड की छुईं मा
खोयुं छों ऊ गैल्युं मा
एक रोजी पाड़ो मा
किन्गुडा काफल की दानियों मा
हैर भैर डाला डलियुं का छैलू मा
डंडा कांठा कु ऊ उकालुं मा
रीता मनख्यूं की अंक्खयूं मा
खोयुं छों मी खैलू मा
एक रोजी पाड़ो मा
हिसलों टिपद रौलों खौलूं मा
गदनीयुं बग्धी धारों मा
बंजा पौडी उजाड़ा पुंगडु मा
बिकयाँ बल्द टूटी छनियों मा
खोयुं छों मी खैलू मा
एक रोजी पाड़ो मा
निळू सरग यूँ ह्यूं चलूँ मा
बीती फजल बिता दिनी गैानि रतियूं मा
भूली गैंन दौड़ी गैंन ऊं उन्दारियूं मा
गीतांग कू गीत का बोलों मा
खोयुं छों मी खैलू मा
एक रोजी पाड़ो मा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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