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कैल लेकियूं हुलु इंन यूँ का भाग


कैल लेकियूं हुलु इंन यूँ का भाग

कैल लेकियूं हुलु इंन यूँ का भाग
एक हात दिनी एक हाती रात

ना जागी पैई ना सै पैई
ना थिक से अन्न ईं पुट्गी गैई

मेरा पाडे कि वा बेटी ब्वारी
वा रे इंन हाथों की दाती

क़मरी कसी मोंड साफा लिप्टयूं
थग्ल्यू धतुली बोूलज्या सिल्युं

ना कै चीजा कि फरमाइश करींचा
जो मिल्युं चा वा संभलयूं धरयूं

मेरा पाडे कि वा बेटी ब्वारी
कबि थाकि की कबि ना उफा कैरीं च

जित्ग मि यूँ परी लिखयुलू
उत्गा बि मेरु लिख्युं काम पड़लु

मेर पाडे की भगवती बाल कुँवारी
यूँ रक्षा कैर जागृत देब्तों कु ठों हमारी

मेरा पाडे कि वा बेटी ब्वारी
उत्तराखंड गढ़वाल कुमो की नारी

कैल लेकियूं हुलु इंन यूँ का भाग
एक हात दिनी एक हाती रात

आभार फूटो: श्री महि सिंग मेहता भूल

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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