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हैंस दि रै



हैंस दि रै

हैंस दि रै
तेर मुखडी हैंस दि रै …२

पीड़ा ना लुकेई
आंसूं ना इनि चूलेई
खैरी कि भासा
ईं आँखों थे ना बथेई

बिंग दि रै
तेर मुखडी ईं हैंसी थे बिंग दि रै …२

अपरी मा लगी रै
ऊपरी का ना थक खै
सबु मा बोल और्री बचे
यखुली मा ना वै थे बिसरै

खिल दि रै
बिगरैल मेरी ईं हैंसी थे खिल दि रै …२

पीड़ा ना लुकेई
आंसूं ना इनि चूलेई
खैरी कि भासा
ईं आँखों थे ना बथेई

हैंस दि रै
तेर मुखडी हैंस दि रै …२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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