ADD

तेरी वो मुलाकातें



तेरी वो मुलाकातें

छोटी छोटी बांतें
अब लगने लगी हैं बड़ी
तेरी वो मुलाकातें
वो बिसरी भूली बातें याद आने लगी हैं बड़ी
छोटी छोटी बांतें
अब लगने लगी हैं बड़ी

अकेले दिन हैं अकेली रातें
परछाई से अपनी ही होने लगी बातें
तन्हाई से यूँ आ मिलना अब
ना जाने रब ये किस्सा कब होगा खत्म

छोटी छोटी बांतें
अब लगने लगी हैं बड़ी
तेरी वो मुलाकातें
वो बिसरी भूली बातें याद आने लगी हैं बड़ी
छोटी छोटी बांतें
अब लगने लगी हैं बड़ी

घुट घुट कर यूँ जीना
तेरे यादों के संग खुद को पीना
बह जाना अकेले उस गम में
सब निकले पर ना निकले ये दम ये

छोटी छोटी बांतें
अब लगने लगी हैं बड़ी
तेरी वो मुलाकातें
वो बिसरी भूली बातें याद आने लगी हैं बड़ी
छोटी छोटी बांतें
अब लगने लगी हैं बड़ी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ