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टूट रही दीवारों पर




टूट रही दीवारों पर

टूट रही दीवारों पर चलो रंगरोगन करें
टूट रही दीवारों पर
कह दे दिल से ना कहें जा किसी से
कह दे दिल से
जो छुपा रखा है अपने आत्मा से छिपकर
ना हो जाये यूँ ही जग जहीर वो
एक सम्मान जगा रखा है
उसको कैसे बचा रखें अब
टूट रही दीवारों पर चलो रंगरोगन करें
टूट रही दीवारों पर
कह दे दिल से ना कहें जा किसी से
कह दे दिल से

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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