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कैना सपोड़ा सपोड़ी



कैना सपोड़ा सपोड़ी

ऐ जावा …२
कैना सपोड़ा सपोड़ी
ढुंगु खुटु कपाल थे फोडी

किले की झट खानु वहलू
कै उछेदी काम रैगे व्हालु

दाल भात घीयु की जोडी
कैरयाल मिन लपोड़ा सपोडी

ककुर जात बनि की घोड़ो
उंबरा कन सज आनि ऐ बौडी

बालपण की देक ले खोडी
गीची को गफा ओरे बोबा की याद ऐगे तेथे

ऐ जावा …२
कैना सपोड़ा सपोड़ी
ढुंगु खुटु कपाल थे फोडी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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