चल दीदी
चल चल ऊँ डंडियों को पार चली जोंला
चल हिट दे खुटी मेरी अपरू पहाड़ हिटी जोंला
उन्दरु बाटों छोड़ि कि ऊँ ऊकाळ फली जोंला जोंला
चल चल ऊँ डंडियों को पार चली जोंला
क्द्गा बरसी यकुली सी यक यखरा बीती दिनी
ये परदेस छोड़ी अपरा घार बौडी जोंला
क्वी नि यख सब बिराना सबी
चल वख अपरा मा जैकी मिसी जोंला जनि बगनी गंगा धारा चल
चल चल ऊँ डंडियों को पार चली जोंला
हिवांली का चुलु धैय लगाणा छन मिथे
हर बार तियोहरा ऊँ का खुद बोलाणा छन मिथे
ऐ जांदी ऐ तांसु बडुळि खांद खाणा बगत ही
जीकोडी तिस बोझाणा पाड़ा ठंडो मिठो पाणी पिना कु जोंला चल
चल चल अपरा मुल्क अपरा उत्तराखंड चली जोंला
चल चल ऊँ डंडियों को पार चली जोंला
चल हिट दे खुटी मेरी अपरू पहाड़ हिटी जोंला
उन्दरु बाटों छोड़ि कि ऊँ ऊकाळ फली जोंला जोंला
चल चल ऊँ डंडियों को पार चली जोंला
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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