एक राह गुजरती है
एक राह गुजरती है
वो तेरे दिल से जाती है
चलो वंही घर बस ले हम
जंहा ये राह ले जाती है
एक राह गुजरती है
झुरमुट पेड़ों के समूह में
अपना वो आशियाना हो
खिलखिलाती धुप हो
वो रंगीन सा शामियाना हो
एक राह गुजरती है
कुछ कह जाती है
जो ये मखमली घास दमकती है
सुख दुःख का घरोंदा अपना
वो सच्चाई का आईना हो
एक राह गुजरती है
एक राह गुजरती है
वो तेरे दिल से जाती है
चलो वंही घर बस ले हम
जंहा ये राह ले जाती है
एक राह गुजरती है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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