उस सुराई में छेद
आज की बात नही
ये काल की बात है साकी
उस सुराई में छेद
आज से नही है बरसों से
टपकती रहती हैं
टिप टिप उन पलकों से नज्म
वो उनकी कर्जदार
आज से नही है बरसों से
बंधा कर रखा है
उसने वो राज दिल सीने में
उस के पग पर पहरा
आज से नही है बरसों से
उड़ने नहीं देता
उसके उन सपनों को इंसान
पर कतर रखें हैं
आज से नही है बरसों से
आज की बात नही
ये काल की बात है साकी
उस सुराई में छेद
आज से नही है बरसों से
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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