ये मेरा घर
ये मेरा घर..... २
है धुप छंव का सफर
ना मिले जो कोई भी डगर
तू चले आ मेरे इधर
ये मेरा घर..... २
पहाड़ों में बस्ता कंही
वो मेरा सरपरस्त अब भी वंही
हवा का जोर और नदी शोर
खींच लायेगा तुझे वो मेरी ओर
ये मेरा घर..... २
गुमसुम सा खड़ा वो
खंडहर सा चुपचाप पड़ा है वो
याद दिलायेगा तुझे अब भी
मेरा गुजरा वो यंहा बिता सफर
ये मेरा घर..... २
कुछ कमी ना की थी उसने
ज्यादा पाने की चाह बस चढ़ी थी मुझमें
छोड़ कर वो अपना प्यार घर
ऐसे शुरू हुआ मेरा बंजारा सफर
ये मेरा घर..... २
ये मेरा घर..... २
है धुप छंव का सफर
ना मिले जो कोई भी डगर
तू चले आ मेरे इधर
ये मेरा घर..... २
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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