एक शायर को और क्या चाहिये
तालियों की भीख चाहिये
और तुम्हरी बस वाह वाह चाहिये
अच्छा लिखने के लिये ये ध्यानी
आप लोगों की इनायत चाहिये
और ना कुछ चाहिये
बस इस शायर को वो ही दर चाहिये
जंहा सुनने वाले समझने वाले मिल जाये
फ़क्त वो तुम्हरे दो पल चाहिये
खून खून जलता है
उस कलाम की रवानगी में
मरता है वो हर्फ़ अपने आप रोज यूँ ही
बस आप ही मर्ज आप ही वो दवा चाहिये
तालियों की भीख चाहिये
और तुम्हरी बस वाह वाह चाहिये
अच्छा लिखने के लिये ये ध्यानी
आप लोगों की इनायत चाहिये
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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