तू देके ना ना देके तू
तू देके ना ना देके तू
ईं जिकोड़ी मा कया हुंदु च
कन कै धैरुँ सम्भली की ये माया
तू ऐ की बथे जा तू
तू देके ना ना देके तू
ईं जिकोड़ी मा कया हुंदु च..................
धड धड कैन्दी रैन्दी च
ईं की आसा तेर खैलू मा
ऐजा छुईं लगे जा मै से
ऐकी ईं जीयु की डंडा धारु मा
तू देके ना ना देके तू
ईं जिकोड़ी मा कया हुंदु च..................
तैसे बोलूं कन के गिची खुलूँ
तू ई ऐकि ईं की छुईं बिंग ले ना
जिकोड़ो कन कैकी तू बोलली
चार लोकों की समण मा
तू देके ना ना देके तू
ईं जिकोड़ी मा कया हुंदु च..................
तू देके ना ना देके तू
ईं जिकोड़ी मा कया हुंदु च
कन कै धैरुँ सम्भली की ये माया
तू ऐ की बथे जा तू
तू देके ना ना देके तू
ईं जिकोड़ी मा कया हुंदु च..................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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