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मै पुस्र्ष कहलाऊं



मै पुस्र्ष कहलाऊं

आदमी क्या पाता बस खोता है
ये संसार बस एक धोखा है

मिला मौका इंसान बनने का
पापों की गठरी क्यों ढोता है

मुर्ख प्राणी तत्व विराजे
असत्य अहम आडंबर मन साजे

मानस परिकल्पना अति न्यारी
त्याग समर्पण की बनी नाड़ी

पुरुषार्थ के इस तन भाव जगाऊं
आदर से मै पुस्र्ष कहलाऊं

मनुष्य कथा इति सम्पुर्णम्
माया लोभ स्वार्थ निरंतर प्रवाहम्

आदमी क्या पाता बस खोता है
ये संसार बस एक धोखा है

----------सादर ----------

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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