छूछा बोळ दे रे
रुंदा दिस कब जाला
हैंसदरा दिस कब आला
बैठ्युं छों ठार मा
गौंऊ गोठ्यार मा
दिके ना दिके तू
क्ख्क तैथे खोज्युं बथे तू
देदे रे तू तेरु ठौर पत्ता
ना कैर जल्दी झूठी सब दगडी
बात कैल पकड़ी कैल इथे छोडी
आंख्युं का आस मा
दोई छुईं कैदे सात मा
ना कैर इंन सिकेसेरी
पछताण पड़लु बाद मा
ये ऊंदारे की रात मा
नि मानी नि मानी रे जियु
पड़गे तू माया कु घात मा
यक्लु रेगे यक्लु कैगे
बोळ कया ऐई तेर हात मा
क्या ऐई मेर हात मा
ये पाडे का भाग मा
उत्तराखंड का बाट मा
रुंदा दिस कब जाला
हैंसदरा दिस कब आला
बैठ्युं छों ठार मा
गौंऊ गोठ्यार मा
दिके ना दिके तू
क्ख्क तैथे खोज्युं बथे तू
देदे रे तू तेरु ठौर पत्ता
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ