दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
बज्दी रे
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
जियु दगडी छूईं लगोंदी रे
बज्दी रे
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
खैल ये अजाण,कैल मंडे यख
दुखा की पाछाण,कैल करी सके यख
सब माया का ये फेर बंध्या
ध्यान ना तू धरि
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
जियु दगडी छूईं लगोंदी रे
बज्दी रे
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
सब ऐं यख , अपरा बाणा
टूटी सब यख , जे गेड्या गैणा
भौत संभळि संभलो नई रालो
टुटणार टुट ही जाला
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
जियु दगडी छूईं लगोंदी रे
बज्दी रे
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
चक्र का यख , फेर मा अल्जी
कैकु लगी यख , सिन्कोली जाणे जल्दी
पाप पुण्य तौल कैल जपै यख
तू ही अब कथा लगे दे जीकोडी
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
जियु दगडी छूईं लगोंदी रे
बज्दी रे
दुक दुकी मेरी तू बज्दी रे
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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