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मेरे शब्द


मेरे शब्द

मेरे शब्द
मेरी आवाज बन जा
मन के घेरे से उड़
और आकश बन जा

मेरे शब्द
मेरी कलम पर सवार हो जा
ले अश्व का वेग
इस पन्ने पर निसार हो जा

मेरे शब्द
करूँ साक्षात्कार तेरा
विचार विमर्श हो
और बड़े आदान प्रदान तेरा

मेरे शब्द
क्यों छटपट रहा है
अकेले में बैठा बैठा
क्यों तू बड़बड़ा रहा है

मेरे शब्द
मेरी पहचान बन जा
ना कर बेगाना मुझको
ना मुझे यूँ बेजुबान कर जा

मेरे शब्द
तू मुझ में यूँ ना खोजा
एक कोने में रहकर
तू यूँ अकेला ना सो जा

मेरे शब्द !!!

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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