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वो प्रेम चिठ्ठी



वो प्रेम चिठ्ठी

हम को ऐसा लगने लगा
जब से देखा हमने आप को
मिल गया मुझको मेरा कोई
आया करार इस दिल यार को
हम को ऐसा लगने लगा

अठखेली लेती है ये हवायें
याद दिलाये मेरे पहाड़ ,गांव की
आयी है चिठ्ठी बड़े दिनों बाद
मेरी प्यारी रामी बौराणी की
हम को ऐसा लगने लगा

मौसम ऐसा छाने लगा है
वो प्रेम चिठ्ठी ले आयी बहार है
खोलों इसमें क्या होगा लिखा
क्या भेजा है मेरे प्यार ने
हम को ऐसा लगने लगा

आ रही है भीनी भीनी सुगंध
मेरे उत्तराखंड मेर घर संसार की
आँखों में चित्र उभरने लगा मेरे
वो मेरे बीते दिन मेरे प्यार की
हम को ऐसा लगने लगा

हम को ऐसा लगने लगा
जब से देखा हमने आप को
मिल गया मुझको मेरा कोई
आया करार इस दिल यार को
हम को ऐसा लगने लगा

एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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